हे लोकतंत्र के उपासक !
वोट नहीं डाला ?
क्यों नहीं डाला ??
तुम कहते हो,
नकली है मतदान
चुनाव में हेरफेर है !
मित्र, हेरफेर है अगर,
तो होना चाहिए सतर्क
और भी अधिक !
वोट का अपने
करो सदुपयोग,
मत जाने दो व्यर्थ !
सुनो श्रीमान !
वोट का अपने
रखो मान !
राजनीति के उलटफेर
होते हैं सर्वत्र
क्या देश क्या घर !
घर छोङ देते हो क्या ?
भाग्य भरोसे ?
यदि नहीं ..तो देव जागो !
चेतना के कपाट खोलो !
अकर्मण्यता छोङो !
अवसरवादी ही बन लो !
हे कुंभकर्ण ! आंखें खोलो !
वोट देकर भविष्य चुनो !
पूरे हक़ से हालात बदलो !