नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
शुक्रवार, 21 मार्च 2025
गुरुवार, 20 मार्च 2025
मुन्नी की सहेली गौरैया

एक गौरैया आती है जब दोपहरी हो जाती है ।
घर में होते हैं जो लोग झपकियाँ लेते रहते हैं
मुन्नी को नींद नहीं आती उसे ख़बर लग जाती है
दबे पाँव बाहर आकर वो इधर-उधर ताकती है ।
गमलों के पास जल पात्र में गौरैया नहा रही हैं !
परम प्रफुल्ल घुटनों के बल मुन्नी भी आ बैठी है
तोतले बोलों से पुकार बजाती ताली बार-बार है !
आहट सुन मुन्नी की माँ जाग कर उसे बुलाती है
पास न पाकर घबराकर बाहर खोजने भागती है ।
मुन्नी को गौरैया संग खेलता देख दंग रह जाती है !
आते देख उसे जो गौरैया फुर्र से उङ जाती है ..
मुन्नी की ताली पर वही आज बेधङक फुदकती है !
फुदक-फुदक हथेली पर चहचहा कुछ कहती है
मुन्नी भी जाने क्या समझी बस हँसती ही जाती है !
मुन्नी की सहेली गौरैया अब घर में ही बस गई है !
सदस्यता लें
संदेश (Atom)