शनिवार, 7 सितंबर 2013

राखी



यूँ तो 
कोई बंधन नहीं। 
ऐसा कोई 
नियम नहीं। 
इसलिए ,
तुम बाध्य नहीं कि 
अपनी बहन की राखी,
ज़्यादा देर तक 
या 
कई दिनों तक 
बांधे रखो।

पर एक बात है। 

अच्छा लगता है,
जब अपना भाई 
पहने रहता है ,
कलाई पर राखी ,
कई दिनों तक। 

शायद उसे अहसास है ,

बहन ने कितने जतन से 
चुनी है राखी उसके लिए। 
बरस भर बाट जोही है ,
आस पाली है 
इस दिन के लिए।
मन में प्रार्थना संजोये ,
दुकानों की कितनी 
फेरियां लगा के 
ढूंढी है राखी 
सही वाली  . . 

जिसमें  . . 

रेशम तो होना ही चाहिए ! 
रंग भी चोखा चाहिए ! 
और मंगल चिन्ह सारे 
होने चाहिए ! 
राखी पर 
श्रीफल , मंगल कलश 
सतिया , ॐ और 
मौली की डोरी 
तो होनी ही चाहिए !    
आखिर सबसे सुन्दर राखी 
साध है बहना की !

और बनी - बनायी राखी 

जब मन को न भाए ,
बाज़ार के रंग फीके पड़ जायें ,
तब ख़ुद अपने हाथों से
बहन बनाती है राखी। 

वो जो राखी में 

पोती है मोती ,
पिरोती है मन के 
भावों को भी। 

इतने स्नेह और जतन से

बाँधी गई राखी 
जब भाई 
अपनी कलाई पे 
बड़े ही गर्व से 
पहने 
इतराते डोलते हैं  . . 
बहुत अच्छा लगता है। 




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