रेस के घोड़े
अरे छोड़िये !
बस भी कीजिये !
किसी के पास नहीं है ..
वक़्त
वक़्त
इन फ़िज़ूल बातों का !
ये सब रेस के घोड़े हैं !
ये सब रेस के घोड़े हैं !
बेतहाशा भाग रहे हैं !
किसे पड़ी है कि पूछे
पड़ोस की बूढ़ी अम्मा से,
अम्मा घुटनों का दर्द कैसा है !
दवा तो डाक्टर देगा !
या नहीं ?
दुनिया में झमेले भतेरे हैं !
और हम इकलौती जान लगे पड़े हैं !
दूसरों के पापड़ बेलने लगे !
तो हमारे घर में फ़ाके होंगे !
ये सब बातें बहुत सुन लीं हमने ...
बच्चों से खेलो.. बहुत खुश होंगे !
बुजुर्गों से बतियाओ.. आशीर्वाद देंगे !
खुशी और आशीर्वाद सब खेरीज हैं.. मानिए !
करारे नोटों की ही कीमत है..जानिये !
बीवी से पूछने बैठे कि आँख क्यूँ नम है..
तो पहली रेस छूट जायेगी !
दोस्तों की खोज-ख़बर लेने लगे ..
तो तक़दीर की सीटी बज जायेगी !
अरे छोड़िये ! ये बेकार की बातें !
आपको एक फ़ार्मूला समझा दें !
मिलजुल कर रहने पर मेडल नहीं मिलेंगे !
जो सब कुछ भूल कर.. बस ! दौड़ते रहेंगे !
वो ही घोड़े सबसे जल्दी रेस जीतेंगे !
आप की मर्जी ! काटते रहिये फसल ..
भलमनसी की ! अपनेपन की !
आपसे और कुछ नहीं बनेगा !
चाचाजी ज़रा बीमार हैं, ले आइये..
उनके लिए बाज़ार से फल-सब्ज़ी !
बहन ने कसम दी है, राखी बंधवाने आना है ..
आंसू बहाते सरपट दौड़ जाइए.. ससुराल उसके !
दोस्त ने परेशानियों से पस्त होकर याद किया है..
हो आइये .. घंटों उसकी व्यथा सुनिए.. दिल पर हाथ रख के !
कुछ होना-हवाना नहीं है इन कलाबाजियों से !
कुत्ते की दुम टेढ़ी ही रही है सदियों से !
आप क्या तीर मार लीजिएगा कसम से !
आपसे लाख गुना हम अच्छे !
दांये बांये बिल्कुल नहीं देखते !
रेसकोर्स की घास के परे जो कुछ नहीं सोचेगा !
लिख लीजिये वही घोड़ा एक दिन रेस जीतेगा !
दवा तो डाक्टर देगा !
या नहीं ?
दुनिया में झमेले भतेरे हैं !
और हम इकलौती जान लगे पड़े हैं !
दूसरों के पापड़ बेलने लगे !
तो हमारे घर में फ़ाके होंगे !
ये सब बातें बहुत सुन लीं हमने ...
बच्चों से खेलो.. बहुत खुश होंगे !
बुजुर्गों से बतियाओ.. आशीर्वाद देंगे !
खुशी और आशीर्वाद सब खेरीज हैं.. मानिए !
करारे नोटों की ही कीमत है..जानिये !
बीवी से पूछने बैठे कि आँख क्यूँ नम है..
तो पहली रेस छूट जायेगी !
दोस्तों की खोज-ख़बर लेने लगे ..
तो तक़दीर की सीटी बज जायेगी !
अरे छोड़िये ! ये बेकार की बातें !
आपको एक फ़ार्मूला समझा दें !
मिलजुल कर रहने पर मेडल नहीं मिलेंगे !
जो सब कुछ भूल कर.. बस ! दौड़ते रहेंगे !
वो ही घोड़े सबसे जल्दी रेस जीतेंगे !
आप की मर्जी ! काटते रहिये फसल ..
भलमनसी की ! अपनेपन की !
आपसे और कुछ नहीं बनेगा !
चाचाजी ज़रा बीमार हैं, ले आइये..
उनके लिए बाज़ार से फल-सब्ज़ी !
बहन ने कसम दी है, राखी बंधवाने आना है ..
आंसू बहाते सरपट दौड़ जाइए.. ससुराल उसके !
दोस्त ने परेशानियों से पस्त होकर याद किया है..
हो आइये .. घंटों उसकी व्यथा सुनिए.. दिल पर हाथ रख के !
कुछ होना-हवाना नहीं है इन कलाबाजियों से !
कुत्ते की दुम टेढ़ी ही रही है सदियों से !
आप क्या तीर मार लीजिएगा कसम से !
आपसे लाख गुना हम अच्छे !
दांये बांये बिल्कुल नहीं देखते !
रेसकोर्स की घास के परे जो कुछ नहीं सोचेगा !
लिख लीजिये वही घोड़ा एक दिन रेस जीतेगा !
आपकी इस बेहतरीन रचना को कल के "चर्चा मंच" में सम्मिलित किया गया है.....
जवाब देंहटाएंआभार्!
वाह्…………………एक तल्ख सच्चाई कह दी है।
जवाब देंहटाएंबहोत खुब कहा आपने
जवाब देंहटाएं