घर-घर के द्वार पर
मंदिर के निकट
अल्पना में अंकित
शुभ श्री चरण ..
माँ लक्ष्मी के माथे पर
दमकता पूर्ण चंद्र
नील नभ के ताल मध्य
जैसे खिला हो कमल !
अमावस और पूनम
सृष्टि का क्रम अनवरत,
नयनों में भर लेना मन
स्निग्ध चाँदनी का पीयूष।
निशा के चंद्र बनो मेरे मन
ऐसे कि उजियारी हो रैन ,
वंशी सुन हो जाए मगन,
शीतल बयार बन.. पाओ चैन ।
अंतर्दृष्टि से रस-रास अवलोकन ,
पथ प्रकाशित करें पावन पदचिन्ह ।
सोमवार, 13 अक्टूबर 2025
पावन पदचिन्ह
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में बुधवार, 15 अक्टूबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमंगलमय
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