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सोमवार, 2 दिसंबर 2024

भावुक मन, भावमय रहना ।



भावुक मन, 

भावमय रहना ।

मर्म समझ

अपना मत देना ।


दुखती रग पर

संभल-संभल कर

शब्दों के फाहे रखना ।


अव्यक्त व्यथा की

थाह पा कर,

मौन से मान रखना ।


क्लांत पथिक की

कठिन राह पर

शीतल जल कूप बनना ।


अश्रु जल का खारापन 

अंजुरी में भर कर,

गंगाजल सम पान करना ।


कांटों भरी 

जीवन बगिया में 

गुलाब की सुगंध बन बसना । 


सबके मन पर भार बहुत 

तुम भाव गहन कर

मन-भुवन, भारहीन कर देना । 


18 टिप्‍पणियां:

  1. भावों की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति..🙏

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    1. दिलीप जी, आपकी सराहना बहुत मायने रखती है। पढ़ते रहिएगा। अपने विचार साझा करते रहिएगा। बहुत खुशी होगी। आभार। नमस्ते।

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  2. उत्तर
    1. उतने ही जितनी सुंदर पढ़ने वालों की शुभ दृष्टि है। धन्यवाद।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 5 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    उत्तर
    1. रवींद्र जी, भावनाओं के सागर में भावुक मन की नैया उतारने के लिए हार्दिक आभार। सभी लिंक पढ़े। अच्छे लगे। नमस्ते।

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  4. उत्तर
    1. धन्यवाद, जोशी जी। नियमित रूप से सबकी सभी रचनाएं पढ़ने और अपने विचार प्रकट करने के लिए आपका सदा ही आभार। नमस्ते।

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  5. बहुत सुंदर प्रार्थना और कामना, मन की गहराई में छिपे शाश्वत को जगाने का आह्वान करती

    जवाब देंहटाएं
  6. अनीता जी, भाव को समझने और इतने सुंदर शब्दों में निरूपित करने के लिए आपका अत्यंत आभार। नमस्ते।

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