कुछ और पन्ने

रविवार, 3 सितंबर 2023

चमकता रहे चंद्रमा



विक्रम पहुँच गया ननिहाल !
चंद्रयान पर होकर सवार !
दूर बसे चंदा मामा के पास !
प्रज्ञान को लेकर अपने साथ !
देने भारत माँ का पैगाम !
खुश हुआ चंदा मामा आज !
भारत से ठहरा रिश्ता ख़ास !
किसे न भाता दूधिया चाँद !
अब चंदा मांगेगा जब लाल
फ़ोन घुमा देगी माँ तत्काल !
करवा चौथ हुआ आसान !
नाम लो और हाज़िर चाँद !
कवि की कलम का श्रृंगार !
शब्दों में जङे चंद्र अलंकार !
चाँद बाली पहने नई दुल्हन !
चाँद से मुखङे पर जां क़ुर्बान !
शिव जटा पर सदा विराजते चंद्र !
चंद्रमा देख हो गणपति पूजन !
चाँद बताशे का मिले प्रसाद !
चाँद की लोरी सुनाते हैं सब !
चलो चंद्रलोक की सैर करें हम !
लहरा रहा जहां देश का परचम !
कहानियों से चंदा मत होना गुम !
चाँदनी ओढ़ कर ही सोते हैँ हम !

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

छायाचित्र : अनिका शांडिल्य 


3 टिप्‍पणियां:

कुछ अपने मन की भी कहिए