रविवार, 1 सितंबर 2019

बप्पा इस बार जब तुम आना


 प्यारे बप्पा,
आख़िर आ ही गया 
समय का चक्र 
घूम कर उस पर्व पर 
जब तुम आते हो,
घर-घर में करते हो
निवास। 

वास करते हो  .. 

या व्रत रखते हो 
दस दिन का ?
भक्त का 
मंगल करने को ?

जो भी हो  .. 

तुम आते हो। 
हर घर पावन कर जाते हो। 
अशुभ को शुभ कर जाते हो। 
जब तक तुम हो। 
विघ्न हर ले जाते हो,
जब जाते हो। 

जब तक तुम हो। 

विग्रह में उपस्थित हो। 
वरद हस्त रखते हो,
हमारे शीश पर.. 
हमारे चिंतन पर 
अंकुश रखते हो। 
फिर क्या होता है ?  

क्या होता है ?

तुम्हारी विग्रह के 
विसर्जन पश्चात् ?

कहाँ चले जाते हो 

विसर्जन के बाद ?
क्या सचमुच हमें छोड़ कर 
विदा हो जाते हो ?
या प्रतिमा के 
विसर्जन के बाद, 
बस जाते हो 
उनके अंतर्मन में तत्पश्चात, 
जिनके चित्त में होता है वास 
मंगल कामना का, 
सद्भावना का ?

सच में क्या तुम 

बस जाते हो 
अस्त्र,शस्त्र,उपकरण,
और हमारी चेष्टा में,
चेतना में, 
मंगल बन कर ?

यदि ऐसा है तो 

किसान के हल में,
लोहार के हथौड़े में,
कुम्हार के चाक में,
चित्रकार की तुलिका में,
शिल्पकार की छेनी में,
अध्यापक के आचरण में 
हो सदा तुम्हारा वास। 

और एक बात। 

सबसे बड़ी बात। 
महर्षि वेद व्यास की रचना 
महाभारत का लेखन 
आपने ही किया था ना ?
क्योंकि प्रत्येक श्लोक 
आत्मसात कर लिखना था,
इसीलिए शब्दों के प्रवाह, 
नियति के आरोह अवरोह,
हर प्रसंग की विवेचना में 
जन जन का मंगल निहित था। 

तो बप्पा क्यों ना इस बार 

विग्रह विसर्जन उपरान्त 
मुझे दो ऐसा ही वरदान ?

महाभारत सामान नियति का,

हर प्रसंग तुम चुनना जीवन का। 
पर जब समय हो भावार्थ करने का, 
तब तुम मेरी कलम पकड़ कर 
लिखना सिखा देना बप्पा। 
सिखा देना लोकहित में
भावानुवाद करना। 

सुन्दर लिखना। 

उससे भी सुन्दर जीवन जीना। 

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह अद्भुत. बेहद सुंदर मनोभावों और सुंदर लोकहित कामना से गुम्फ़ित है आपकी रचना. ईश्वर करे आपके सभी मनोरथ पूर्ण हो.

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    1. सुधाजी, आपके आगमन से प्रसन्नता हुई.
      उससे भी अधिक आपके दिए प्रोत्साहन से मन प्रसन्न हुआ.
      शुभ संकल्प जिसके भी हों.
      सच हों और सफल हों.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-08-2019) को "बप्पा इस बार" (चर्चा अंक- 3447) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्री गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आभार शास्त्रीजी !
      गणपति बप्पा सबके नेक इरादे सफल करें.

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  3. उत्तर
    1. सागर जी नमस्ते पर आपका स्वागत है.
      प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  4. विसर्जन का मंत्र होता है "हृदय स्थनाम प्रतिष्ठायमी", बप्पा सदा आपकी चेतना में प्रतिष्ठित रहें।

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    1. आपने बड़ी सुंदर बात बताई । आभार अनमोल सा ।
      आपकी प्रार्थना सुन लें बप्पा ।

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