नीलाम्बर सा
नभ का चंदोबा,
पतंगों सी झिलमिलातीं
पताकाएं बावरी झूमती,
पीताम्बर सी फहरातीं ..
कीर्तन करती हुई
आनंद उत्सव मनातीं
नभ का चंदोबा,
पतंगों सी झिलमिलातीं
पताकाएं बावरी झूमती,
पीताम्बर सी फहरातीं ..
कीर्तन करती हुई
आनंद उत्सव मनातीं
वंदना की वंदनवार।
ह्रदय को आभास करातीं
भक्ति की आभा का ।
ह्रदय को आभास करातीं
भक्ति की आभा का ।
कोई तान हृदय से उठती
जुगल जोड़ी के चरणों में
शीश नवाती अश्रु बहाती
हो समर्पित लौ लगाती ..
जुगल जोड़ी के चरणों में
शीश नवाती अश्रु बहाती
हो समर्पित लौ लगाती ..
दीजिये सन्मति शक्ति
धर्म पथ पर दृढ़ रहने की,
सजग आराधना की ..
और दीजिये भक्ति की
अनमोल थाती,
चरणारविन्द में शरण
पग में धारित शरणागत
धर्म पथ पर दृढ़ रहने की,
सजग आराधना की ..
और दीजिये भक्ति की
अनमोल थाती,
चरणारविन्द में शरण
पग में धारित शरणागत
नूपुर समान ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 22 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसांध्य सम्मलेन का सुख लिया.
हटाएंधन्यवाद यशोदाजी.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एक छोटी सी किरण भी निराशा हटाती है, राह दिखाती है, हौसला बढ़ाती है
जवाब देंहटाएंगगन शर्मा जी, आपसे मिला प्रोत्साहन भी ऐसी ही एक किरण है.
हटाएंहार्दिक आभार.
why this approval :-(
जवाब देंहटाएंTo avoid spam and avoidable comments.
हटाएंIf you are talking about publishing of comments only after my consent. Hope it's not irritating.
बहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर
सादर आभार अनीताजी.
हटाएंबहुत दिनों में आना हुआ.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएं