नानाजी ने दी थी
नारायण की चवन्नी ।
कहा था,
संभाल कर रखना
इसे कभी मत खोना ।
ये भी कहा था,
जब सब खो जाता है,
तब काम आती है
नारायण की चवन्नी ।
बात सच्ची निकली ।
जब किस्मत खोटी निकली
तब चवन्नी ही काम आई ..
नारायण की चवन्नी ।
क्या नहीं खरीद सकती ?
चांदी-सोने की गिन्नी ?
पर मन का चैन देती
नारायण की चवन्नी ।
इस चवन्नी के बल पर
हम दुनिया से लड़ गए ।
बहुत हारे, पर हारे नहीं ।
हमारी मुट्ठी में जो थी,
नारायण की चवन्नी ।
अमीरी का हमारी
ठिकाना नहीं !
ठाकुरजी के दिए
ठाठ हैं सभी !
प्रारब्ध की कील
गड़ती नहीं ।
विरासत में हमको
सेवा मिली ।
रसास्वादन की
कला दी थी ..
रस में पगी
कथा दी थी ..
नानाजी ने दी थी
नारायण की चवन्नी ।
सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन के लिए अनेकानेक धन्यवाद.
हटाएंनमस्ते पर आपका विनम्र स्वागत है.
विनती है आना-जाना लगा रहे.
आपका मार्गदर्शन मिलता रहे.
Wonderful lines mam
जवाब देंहटाएंWhat a pleasant surprise Sachin !
हटाएंAt last you have arrived on your own !
Very happy to welcome you to namaste.
Thank you. Glad you liked.
Bahut sunder didi radhe radhe ji
जवाब देंहटाएंसुन्दर श्री राधा नाम जी !
हटाएंसुन्दर केशव का दर्शन जी !
सुन्दर भक्त की भावना जी !
अपना नाम तो बता दो जी !
https://bulletinofblog.blogspot.com/2019/07/2019_31.html
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जवाब देंहटाएंश्रीमन्नारायण नारायण नारायण!
मधुर।
बहुत सुन्दर रचना है। राधे राधे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
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