गुरुवार, 17 मई 2018

सच्चा रामबाण नुस्खा


माँ की झिड़की में माँ का दुलार,
माँ की महिमा अपरंपार !
जितने माँ ने कान उमेंठे,
उतने मेरे भाग जागे। 
माँ का रूतबा शानदार ! 
शाही फ़रमान है होशियार !
माँ के हाथ में अदृश्य तलवार,
भागें भूत के नाना प्रकार !
माँ ने जब-जब आँख तरेरी,
टेढ़ी ग्रहदशा हो गई सीधी। 
माँ की खा-खा नित फटकार,
सुधर गया पाजी संसार !
जब भी खाई माँ से मार,
जाग गया सोया स्वाभिमान !
माँ का गुस्सा तेरह का पहाड़ा,
पर समझो तो हो जाए बेड़ा पार !      
माँ का डांटना बारंबार,
नालायकी का उत्तम उपचार !
फांकते रहिए सुबह-शाम,
पाइए स्वास्थ्य और सदाचार।    

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-05-2017) को " बेवकूफ होशियारों में शामिल" (चर्चा अंक-2965) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. धन्यवाद शास्त्रीजी आपने इतना मान दिया.
      आपका मार्गदर्शन मिलता रहे.

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद आदरणीय.
      आपने सराहा. पर शब्द कम ही पड़ते हैं हमेशा माँ पर लिखने को.
      और बहुत कुछ अच्छा लिखा जा सकता है.

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  3. i loved the line, "नालायकी का उत्तम उपचार !" bilkul sateek!

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    1. जिसे लगी माँ की फटकार
      समझो उसका बेड़ा पार

      धन्यवाद अनमोल सा.

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  4. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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