चुपचाप
आंकड़े
बहुत सारे
आपको मिल जायेंगे ,
जो बताएँगे ,
लोग कितने
दिल का धड़कना
रुक जाने से ,
वक़्त - बेवक्त मर जाते हैं .
पर कोई नहीं जान पाता
कि दिल टूटने से
कौन कब मर जाता है .
क्योंकि
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं होती .
आवाज़ क्या ..
आहट तक
नहीं होती .
चुपचाप
दिल धड़कता रहता है .
और दुनिया का झमेला चलता रहता है .
दिल टूटने का
सिर्फ उसको पता
चलता है ,
जिसका
दिल टूटता है .
क्योंकि
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं होती .
आवाज़ क्या ..
आहट तक
नहीं होती .
चुपचाप
दिल धड़कता रहता है .
और दुनिया का झमेला चलता रहता है .
दिल का टूटना
एक गुम चोट होती है .
किसी को नहीं चलता पता
और तमाम दुनिया
तबाह होती है .
नब्ज़ चलती है .
उम्र दराज़ होती है .
पर ज़िन्दगी ?
ज़िन्दगी बेहोश ..
बस .. सांस लेती है .
शायद कभी
आये कोई ,
मन की पाती
बांचे कोई ,
बात अनकही
समझ जाये कोई.
अपनाये,
नयी ज़िन्दगी दे जाये .अपने आंसुओं से
मुरझाई
मन की मिटटी
सींच जाये कोई .
शायद
कभी कोई आये
फिर से जीना सिखाये ,
जीने की वजह दे जाये .
बहते आंसुओं को पिरो कर
नदी की तरह
आत्मसात करना
और बहना
सिखा जाये .