मन की बात
जब एक बार
काग़ज़ पर
उतार दी,
फिर वो बात
लिखने के साथ
पढने वाले की
भी हो गई..
सिर्फ़ अपनी
कहां रही ?
कौन जाने अब
किन हालात में
फिर मुलाक़ात हो ..
कोई बात हो ना हो,
मेरी दुआ हमेशा
तुम्हारे साथ हो.
तुम्हारी दुनिया
ख़ुदा की रहमत से
आबाद हो.
जिस रास्ते पर चलो
तुम्हारा हमखयाल
ज़रूर तुम्हारे साथ हो.
अकेलेपन का
कभी ना
एहसास हो.
...शायद कभी
फिर मुलाक़ात हो.