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मंगलवार, 18 मार्च 2025

मुट्ठी भर की गौरैया



बस मुट्ठी भर की गौरैया !
चुन-चुन लाती खुशियाँ !
चुग चावल के दाने चार,
चोंच में भर दो बूँद जल,
करती घर का निरीक्षण,
गर्दन घुमा कर बार-बार ।
देख जल से भरा सकोरा,
छम-छम नाचे मन मयूरा !
ठुमक-ठुमक ता ता थैया !
छपाक-छपाक खूब नहाना !
मन चंगा तो कठौती में गंगा !
तिनके जोङ नीङ बनाना !
चारों दिशाओं में चहचहाना !


10 टिप्‍पणियां:

  1. चारों दिशाओं में चहचहाना

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. सहज सुंदर अभिव्यक्ति 👌🏻👌🏻

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  4. बहुत सुंदर..ईश्वर की सुंदर रचना को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णित किया।

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  5. बहुत सुंदर सृजन नुपुर बहन हार्दिक बधाई सुलेखनी को।

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  6. 🌸🌸🌸🌸🌸 सुंदर.. 🌸🌸🌸🌸🌸🌸

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  7. बहुत प्यारी रचना गौरेया पर !

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