बस मुट्ठी भर की गौरैया !चुन-चुन लाती खुशियाँ !चुग चावल के दाने चार,चोंच में भर दो बूँद जल,करती घर का निरीक्षण,गर्दन घुमा कर बार-बार ।देख जल से भरा सकोरा,छम-छम नाचे मन मयूरा !ठुमक-ठुमक ता ता थैया !छपाक-छपाक खूब नहाना !मन चंगा तो कठौती में गंगा !तिनके जोङ नीङ बनाना !चारों दिशाओं में चहचहाना !
चारों दिशाओं में चहचहाना
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सहज सुंदर अभिव्यक्ति 👌🏻👌🏻
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..ईश्वर की सुंदर रचना को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णित किया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन नुपुर बहन हार्दिक बधाई सुलेखनी को।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएं🌸🌸🌸🌸🌸 सुंदर.. 🌸🌸🌸🌸🌸🌸
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना गौरेया पर !
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