इस बार होली मेंऐसी जले होलिका,अग्नि में भस्म हो जाए !दुराचार, दुर्भावना,छल, प्रपंच मिथ्या,जङता,कायरता।एकनिष्ठ प्रह्लादभंक्ति में लीनसर्वथा रहे अछूता ।रंग सारे घुलमिलरचें अनुरागी रंग,भाव-भीने राग,रसास्वाद जीवन का ।यदि निर्मल हो मन..समर्पण यदि निर्द्वंद ,तप न होता भंग ।आप ही आते हैं भगवानभक्तों का रखने मान ।
छवि साभार: श्री रंग जी मंदिर, वृंदावन।
💐🌸🏵🌹🥀🌺🌻🌼🌷⚘️ सुंदर..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, अनाम पाठक ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 16 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, दिग्विजय जी । पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार। अन्य रचनाएँ भी पढ़ीं..अलग-अलग भाव रंग..सुंदर संकलन ।
हटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार। नमस्कार।
हटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंअसीम आभार , नासवा जी । पढ़ते रहिएगा।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद। 'नमस्ते' पर आपका स्वागत है ।
हटाएंसुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंशुभा जी, आपकी सह्रदय सराहना के लिए धन्यवाद। नमस्ते ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर | होली शुभ हो |
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