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शुक्रवार, 14 मार्च 2025

भक्त का मान


इस बार होली में
ऐसी जले होलिका,
अग्नि में भस्म हो जाए ! 
दुराचार, दुर्भावना,
छल, प्रपंच मिथ्या,
जङता,कायरता।
एकनिष्ठ प्रह्लाद 
भंक्ति में लीन
सर्वथा रहे अछूता ।
रंग सारे घुलमिल
रचें अनुरागी रंग,
भाव-भीने राग,
रसास्वाद जीवन का ।
यदि निर्मल हो मन..
समर्पण यदि निर्द्वंद ,
तप न होता भंग ।
आप ही आते हैं भगवान 
भक्तों का रखने मान ।


छवि साभार: श्री रंग जी मंदिर, वृंदावन। 




13 टिप्‍पणियां:

  1. 💐🌸🏵🌹🥀🌺🌻🌼🌷⚘️ सुंदर..

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 16 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद, दिग्विजय जी । पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार। अन्य रचनाएँ भी पढ़ीं..अलग-अलग भाव रंग..सुंदर संकलन ।

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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    उत्तर
    1. प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार। नमस्कार।

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  4. सुंदर भावपूर्ण रचना

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  5. उत्तर
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद। 'नमस्ते' पर आपका स्वागत है ।

      हटाएं
  6. शुभा जी, आपकी सह्रदय सराहना के लिए धन्यवाद। नमस्ते ।

    जवाब देंहटाएं

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