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शनिवार, 7 सितंबर 2024

शुभंकर शुभागमन


बप्पा तुम आ गए ,

कोलाहल हृदय के

हुए शांत ।

क्लांत चेतना ने

पाया विश्राम ।

तुम पिता मेरे

स्वरुप विशाल,

तुम्हारी गोद में

रख कर सिर

सो जाऊँ निश्चिंत ,

निर्द्वंद, निर्भय ।

रख देना वरद हस्त

मेरे शीष पर,

सहला देना 

मस्तक मेरा ।

इस अनुभूति के 

पश्चात ..

और मुझे चाहिए क्या ?

गणपति बप्पा मोरया !

मंगल मूर्ति मोरया ..

 

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दर्शन लाभ सविनय आभार  :  श्री करन सिंह पति 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 09 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. धन्यवाद , दिग्विजय जी।
      यशोदा जी, अस्वस्थ हैं क्या ?
      गणपति गजानन कृपया करें ।
      अच्छे स्वास्थ्य के अध्याय का शुभारंभ हो । नमस्ते।

      हटाएं
  2. भक्तिभाव में आप्लावित सरस रचना

    जवाब देंहटाएं

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