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सोमवार, 8 जुलाई 2024

जगत में जगन्नाथ


जय जय जगन्नाथ !

महाप्रभु के आराध्य !

तुम्हारे नेत्र विशाल

आकाश का विस्तार 

जगत जिनमें समाहित,

पाए कृपादृष्टि अनुराग 

बहन सुभद्रा समान ।

संग बलभद्र शोभायमान ।

रथारुढ़ हुए भगवान ..

प्रस्थान गंतव्य की ओर ।

भक्त आनंद विभोर !

भुवन रथ पर आरूढ़ 

कृपादृष्टि से सिंचित 

कर देना भगवन 

दृष्टि मेरी पावन !

देख सकूं जन-जन..

जगत में जगन्नाथ।

 

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दर्शन अंतर्जाल से आभार सहित 


4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ९ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. अति सुन्दर भावपूर्ण भक्तिमय रचना

    जवाब देंहटाएं

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