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शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

याद रहे !


अरे भाई सुनो !

होश में तो हो !

तुम बस में 

धक्का-मुक्की 

कर के चढ़े 

मवाली नहीं हो !

जो औरतों पर

अपना वज़न 

डालते हुए, 

टटोलते हुए, 

आगे बढ़ते हैं ।

बुज़ुर्गों को देखें तो..

पर चिङिया के

गिनने लगते हैं ! 

इस समय

तुम अपने 

पूजास्थल पर हो !

उस जगह हो

जहाँ हमेशा 

बङी ढिठाई से

कुछ-न-कुछ माँगने 

आते रहते हो !

जिससे माँगते

नहीं थकते,

उसी के सामने

माँ-बहनों से

इज़्ज़त से पेश 

नहीं आ सकते ?? 

तुम जिसे पूजते हो

वह बोलता न हो,

पर अंधा नहीं है !!

यहाँ और बाहर भी

उसकी नज़र 

रहती है सब पर !

याद रहे !

लाठी में उसकी

आवाज़ नहीं,

पर सारा हिसाब 

होता है यहीं !

5 टिप्‍पणियां:

  1. याद रहे !
    लाठी में उसकी
    आवाज़ नहीं,
    पर सारा हिसाब
    होता है यहीं !
    सुंदर
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 08 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं

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