अरे भाई सुनो !
होश में तो हो !
तुम बस में
धक्का-मुक्की
कर के चढ़े
मवाली नहीं हो !
जो औरतों पर
अपना वज़न
डालते हुए,
टटोलते हुए,
आगे बढ़ते हैं ।
बुज़ुर्गों को देखें तो..
पर चिङिया के
गिनने लगते हैं !
इस समय
तुम अपने
पूजास्थल पर हो !
उस जगह हो
जहाँ हमेशा
बङी ढिठाई से
कुछ-न-कुछ माँगने
आते रहते हो !
जिससे माँगते
नहीं थकते,
उसी के सामने
माँ-बहनों से
इज़्ज़त से पेश
नहीं आ सकते ??
तुम जिसे पूजते हो
वह बोलता न हो,
पर अंधा नहीं है !!
यहाँ और बाहर भी
उसकी नज़र
रहती है सब पर !
याद रहे !
लाठी में उसकी
आवाज़ नहीं,
पर सारा हिसाब
होता है यहीं !
याद रहे !
जवाब देंहटाएंलाठी में उसकी
आवाज़ नहीं,
पर सारा हिसाब
होता है यहीं !
सुंदर
आभार
सादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 08 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌
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