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शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

मोती

गुड़हल की 

पंखुड़ी पर ठहरी 

ओस की बूँद, 

पलकों पर ठहरे 

आँसू ..मानो मोती . . 

भाव निर्झर 

ठिठका हो जैसे,

बहने से पहले

विचार कौंधे..

थाम लिया यदि

भावनाओं का ज्वार,

बन जाएंगे मोती,

और बह गए झर-झर

धुल जाएगी जमी धूल,

सींचेगी उर्वर भूमि,

ह्रदय की चौखट

पर कोई आ कर

बनाएगा अल्पना, 

बालेगा दिया ।



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