गुड़हल की
पंखुड़ी पर ठहरी
ओस की बूँद,
पलकों पर ठहरे
आँसू ..मानो मोती . .
भाव निर्झर
ठिठका हो जैसे,
बहने से पहले
विचार कौंधे..
थाम लिया यदि
भावनाओं का ज्वार,
बन जाएंगे मोती,
और बह गए झर-झर
धुल जाएगी जमी धूल,
सींचेगी उर्वर भूमि,
ह्रदय की चौखट
पर कोई आ कर
बनाएगा अल्पना,
बालेगा दिया ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 14 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
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