कुछ और पन्ने

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

सूर्य तिलक


आज हुआ मंगल प्रभात ।
धूप की जब सुनी पदचाप
मन में बरबस जागा कौतूहल,
किस कारण भीतर तक
हुआ किरणों का पदार्पण ।
आले में विराज रहा था
एक चित्रांकन अनुपम,
प्रभु श्री रामचंद्र सीता मैया
और लखन लाल जी अनुज।
सूर्य रश्मि ने किया वंदन
भाल पर रघुवीर के सूर्य तिलक !
पा कर स्पर्श प्रभु राम का
धूप हुई संजीवनी बूटी सम ।
घर-घर जाकर फिर किया मंगल,
जयघोष से जी उठा सकल भुवन ।


:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

सविनय आभार सहित 
प्रेरक कलाकृति : सियाराम और लखन लाल जू 
विधा : मिश्रित भारतीय लोक कला 
चित्रकार : श्री करन पति 
 

10 टिप्‍पणियां:

  1. आज हुआ मंगल प्रभात ।
    धूप की जब सुनी पदचाप
    मन में बरबस जागा कौतूहल,
    किस कारण भीतर तक
    हुआ किरणों का पदार्पण ।
    सादर वंदन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सविनय आभार, सखी.
      कभी-कभी ये क्षणिक आभास
      छोड़ जाते मन पर अमिट छाप

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 18 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए