अब जाकर समझ में आया
किस बात ने फूल खिलाया
बाट जोहती थीं जो कलियाँ
डालों पर अब तक गुमसुम
आज हठात उन्हें हुआ क्या
किसने उन पर जादू चलाया
जाने क्या उनके मन में आया
झोंका पवन का संदेसा लाया
कलियों का भी मन हरषाया
प्यार प्रार्थना साथ किसी का
बन गए ज़िदगी का सरमाया
बूँद बूँद चिंतन मिट्टी ने सोखा
भाव भूमि पर फूल खिलाया
आप ने लिखा.....
जवाब देंहटाएंहमने पड़ा.....
इसे सभी पड़े......
इस लिये आप की रचना......
दिनांक 21/05/2023 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है.....
इस प्रस्तुति में.....
आप भी सादर आमंत्रित है......
सादर धन्यवाद, कुलदीप जी. इस अवसर के लिए. आज के अंक में अद्वितीय भूमिका और रचनाएँ पढ़ने को मिलीं.
हटाएंवाह, जब कवि और प्रकृति का संगम हो, तो इस सुन्दर पंक्ति के लिए शब्द ही नहीं हैं
जवाब देंहटाएंवाह सचिन ! कविता कहने लगे हो क्या !
हटाएंशब्दों का क्या कहना ! काव्य और प्रकृति सहजता के ही दो नाम हैं. तुमने पढ़ा. बहुत अच्छा लगा. शुक्रिया !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 मई 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
धन्यवाद, यशोदा सखी. नमस्ते.
हटाएंप्यार प्रार्थना साथ किसी का
जवाब देंहटाएंबन गए ज़िदगी का सरमाया
प्यार प्रार्थना और साथ जो मिल जायें तो जीवन कुसुमित हो ही जाता है ।
लाजवाब सृजन ।