बचपन से आदत थी ।
गौरैया के चहचहाने,
गहरे से हल्के नीले होते
नभ में धुंधले पङते तारे
और उजाला होने पर
आंख खुलती थी ।
मानो गौरैया वृंद
आता था जगाने
बेनागा हर सुबह ।
जनमघुट्टी में घोल कर
एक बात माँ ने
समझाई थी ।
इंसानों और पंछियों को
पीने का पानी और
चुगने को दाना
पहले परोसना ।
फिर दिनचर्या
आरंभ करना ।
समय बीता ।
बचपन की सहेलियों का
जिस तरह कोई
पता न था,
ठीक वैसे ही गौरैया का
घर में आना-जाना
कम होता गया ।
कुछ ख़ास फ़र्क नहीं पङा ।
बस नींद का उचटना
उचटना आम हो गया ।
फिर एक दिन सहसा
कानों में पङी वही
बचपन वाली
गौरैया के चहचहाने
का मधुर गुंजन ।
चारों तरफ़ देखा
मुंडेर पर सामने
हो रहा था बाक़ायदा
गौरैया सम्मेलन !
शोर कभी नहीं लगा
चिङियों का चहचहाना ।
घोंसला भी बना ।
आवभगत में बना-बनाया
नीङ भी जुटाया गया ।
मिट्टी का सपाट-सा
जल का पात्र रखा गया!
दोबारा जुङ गया नाता ।
अब अकेलापन नहीं सताता ।
सूनापन भी नहीं सालता ।
छोटी-सी गौरैया का
जल में खेलना दाना चुगना ..
इतना अपनापन अनुभव होता,
मानो मुट्ठी में धङकता हो
ह्रदय मेरा और गौरैया का ।
अम्मा की जन्मघुट्टी best है। रोज़ दिन की शुरुआत ऐसी हो तो मजे आ जाएं। कोशिश करूंगा कल से, एक चिरैया से बतियाने की।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,अनमोल सा । सच में बङा मज़ा आता है !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, आलोक जी ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-3-22) को "कविता को अब तुम्हीं बाँधना" (चर्चा अंक 4376 )पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
धन्यवाद, कामिनी जी । इतना प्यारा शीर्षक । पढ़ने के लिए परम उत्सुक ।
हटाएंगौरैया पर लिखी बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपके घर आती है यह शुभ है
बधाई
जी,शुक्रिया ।
हटाएंनित शुभ समाचार की तरह आती है गौरैया ।
बहुत सुंदर भावों से सजी कविता।
जवाब देंहटाएंइस समय मेरे किचन के ऊपर खिड़की में घोंसला बना लिया है,सुबह शाम मेरे साथ रहती हैं, मैं भी प्रफुल्लित वो भी । दिन भर तिनका लाती हैं, मेरे शमी के पेड़ को गंजा कर दिया है, पर क्या कहूं मेरी बचपन की दोस्त हैं न गौरैया रानी😀😀
आपने इतना सजीव वर्णन किया है कि दिखाई दे रहा है! हमारे यहाँ गौरैया तुलसी के पौधे पर एक पत्र नहीं छोङतीं !! स्वास्थ्य के प्रति पूर्णत: सजग !!! यह भी सीखना है गौरैया से !! 🤗🌿🌿🦅 धन्यवाद! अपना अनुभव साझा करने के लिए ।
हटाएंबहुत ही सुंदर भाव नुपुर जी आत्मीयता और स्नेह से लबरेज।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
अनंत आभार । नमस्कार ।
जवाब देंहटाएंथन्यवाद,सखी ।
जवाब देंहटाएंस्नेह और आत्मीयता से सींची फुलवारी में जरुर आती है गौरैया । आपका स्नेह बना रहे । गौरैया आती रहे ।
आपने ठीक कहा ।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति गौरैया-सी।
जवाब देंहटाएंसादर
बड़ी मीठी बात कही , अनीता जी. सादर धन्यवाद.
हटाएंशोर कभी नहीं लगा
जवाब देंहटाएंचिङियों का चहचहाना ।
सुन्दर रचना की अनमोल पँक्तियाँ प्रिय नुपूरम जी।गौरैया के ये मधुर सम्मेलन जब किसी मुंडेर पर होते हैं,वह निश्चित रूप से उसके बहुत सौभाग्य की सूचक है।
आपकी स्नेहमयी सराहना सर-आँखों पर.
हटाएंगौरैया का आसपास होना, वास्तव में रौनक कर देता है.
बचपन की गौरैया आज की गौरैया जैसी कहाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
हार्दिक धन्यवाद, कविता जी.
हटाएंअब भी समय है, जतन किया तो लौट आएगी गौरैया .
वाह!बहुत खूबसूरत ।
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