एक पेड़ का
धराशायी होना,
टूट कर गिरना,
हतप्रभ कर देता है ।
एक सदमे की तरह
आघात करता है ।
कुछ तोड़ देता है
अपने भीतर ।
एक पेड़ को
ठूंठ बनते देखा
तो लगा,
क्या फ़र्क है,
पेड़ के सूखने
और भावनाओं के
जड़ हो जाने में ?
इसीलिए जब
ठूंठ भी ना रहा,
हृदय की तरल
अनुभूति भी
जाती रही ।
जड़ों के बिना कोई
जी पाता नहीं ।
टिक पाता नहीं ।
पेड़ हो या आदमी ।
We always have a choice between having wings to fly or having roots to ground ourselves. We seldom forget that the winged bird comes home to a rooted tree, and tree also finds joy in making itself a home for a winged creature.
जवाब देंहटाएंThank you Sa for sharing such a heart-warming thought.
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी.
हटाएंबहुत दिलचस्प शीर्षक है. रचनाएं भी रोचक होंगी, हमेशा की तरह.
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, जोशी जी.
हटाएंबहुत दिनों में आपका आना हुआ.अच्छा लगा.
बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित काव्य रचा है बहना आपने.
जवाब देंहटाएंलाजवाब
अनीता जी, धन्यवाद ।
हटाएंकहीं जाकर हमारी सोच की रेखाएं मिल गई होंगी शायद ।
ठूण्ड बनने की और अग्रसर हो रहे हैं सुन्दर रचना
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