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शुक्रवार, 5 जून 2020

खुश रहिए

खुश रहने को 
कौन बहुत सामान चाहिए !
सुबह जल्दी आँख खुली
खुश हो गए !
एक नई चिड़िया देखी
खुश हो गए !
बड़े दिनों में चिट्ठी आई 
खुश हो गए !
आज चहेती सखी मिली
खुश हो गए !
गमले में इक कली खिली
खुश हो गए !
नल में पानी देर तक आया
खुश हो गए !
मुश्किल सवाल हल हो गए
खुश हो गए !
अच्छा-सा इक गीत सुना
खुश हो गए !
नानी ने नई कहानी कही
खुश हो गए !
बाबूजी ने शाबाशी दी
खुश हो गए !
माँ की गोद में सो गए
खुश हो गए !

छोटी-छोटी खुशियाँ
चाबी भर देती हैं,
मन तो एक खिलौना है
झट चल देता है !
चलते-चलते मिलती है,
कोई राह नई !
खुशियों की
कड़ियाँ जुड़ती हैं ।
लहर लहर से
एक नदी बन जाती है ।
बड़ी खुशी पाने के लिए
खुश रहना आना चाहिए ।
वर्ना खुश होने को 
कौन बहुत सामान चाहिए !

6 टिप्‍पणियां:

  1. छोटी-छोटी खुशियाँ
    चाबी भर देती हैं,
    मन तो एक खिलौना है
    झट चल देता है !
    बहुत खूब ! सरल सहज मगर गहरी बात कही आपने ..

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  2. सच है। अवसाद के समय में उत्साह जगाते शब्द।

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  3. छोटी छोटी खुशियों को बनाना पड़ता हे हर छोटे छोटे मौके से
    बहुत सुंदर कविता

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  4. अरे वाह ,बहुत सुन्दर बात को कविता में ढाल दिया . सचमुच खुशी के लिये बड़े कीमती संसाधनों की जरूरत नहीं होती

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