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शनिवार, 1 दिसंबर 2018

अभिनंदन




आज का दिन
हुआ बेहतरीन !

गए हफ़्ते
जो बीज बोए थे,
उस मिट्टी में
अंकुर फूटे हैं
नन्हे-नन्हे ।

बड़ी लगन से
सींचे थे
जो कुम्हलाते पौधे,
उनकी डाली पे
कोमल कोपल हरी-हरी
अभी देखी ।

एक कली है खिली हुई,
एक खिलने को है ।

धूप खिली-खिली
फूलों को हँसा रही ।
पत्तियां ताज़ी-ताज़ी
हाथ हिलाती,
अभिवादन करतीं
धूप का दे-दे ताली ।

ख़ुशगवार है मौसम
कम से कम इस पल ।

जिन दिनों
स्थगित हो जाता है जीवन ।
अपने बोये बीज का
अंकुरित होना,
अपने सींचे
पौधों पर फूल खिलना,
मुरझाए मन में
बो देता है मुस्कान ।
खिल उठता है अंतर्मन ।
फिर गुनगुनाने लगता है जीवन ।

जीवन का सदा ही
अभिनंदन ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. धन्यवाद अनुराधाजी ।
      आपके बगीचे में भी फूल खिले होंगे ।
      आपका भी दिन होगा बेहतरीन !

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-12-2018) को "द्वार पर किसानों की गुहार" (चर्चा अंक-3174) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार राधा जी ।
      सबके मन में खुशी के फूल खिलें ।
      और खिलते रहें ।

      हटाएं

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