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बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

राग





सघन वृक्ष की 
ममतामयी छांव में,
कुहू कुहू
कोयल कूक रही है ।
और मन ही मन
सोच रही है,
जीवन पथ जाने
कहाँ-कहाँ ले जाएगा ।


इस पथ पर चलने वाला
क्लांत पथिक क्या,
मेरी तान सुन कर
कुछ पल चैन पाएगा ?
यदि ऐसा हो पाएगा,
उसकी थकान दूर कर
मेरा मन सुख पाएगा ।


गान मेरा
सार्थक हो जाएगा ।
जब मेरा गायन
जन-जन के मन में
सोया राग जगाएगा ।






19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब। कोयल की मीठी आवाज़ याद सी आ गाई।पर एक प्रश्न है, क्या कोयल पथिक के लिये गाती है या वो अपनी ही धुन में मस्त गाती फिरती है? क्या अपने मज़े मे गाया गया गीत ही उत्तम है या सोच समझ के गाया हुआ गीत उत्तम है। ज़रा सोच के एक और कवीता में उत्तर दिजियेगा।

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    1. धन्यवाद अनमोल. इतना ध्यान से पढ़ने के लिए.
      बिग बॉस का यह आदेश सर - माथे पर !

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. उत्तर
    1. धन्यवाद लोकेश नदीश जी.
      ख़ुशी हुई यह जान कर कि कविता आपको अच्छी लगी.

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  4. उत्तर
    1. शुक्रिया रोहितास जी.
      यह सोचते-सोचते कि अच्छा गायन सार्थक कब होता है ..कविता बन गई.
      कृपया नमस्ते पर आते रहिएगा.

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  5. जी बहुत सुंदर रचना छोटी और दमदार।

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    1. हार्दिक आभार कुसुमजी.
      अक्सर छोटी-छोटी बातों को जीवन की धुरी बनते देखा.

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  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. वाह!!बहुत ही मधुर ,संगीतमय रचना।

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    1. सही कहा । किसी के संगीत से ही प्रेरित है रचना । संभवतः कुछ सुर छलक गए हों । कोकिल कंठी सुश्री आस्था गोस्वामी के मधुर व्यक्तित्व के नाम ।

      शुक्रिया शुभा जी ।

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  8. धन्यवाद शुभाजी.
    मीठे बोल सुनते-सुनते कभी-कभी रचना भी मधुर हो जाती है.
    वशीकरण मन्त्र महिमा !

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  9. उत्तर
    1. राग से अनुराग प्रेरित हो रहा है ।
      ऐसा प्रतीत होता है ।
      हार्दिक धन्यवाद सुधाजी ।

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