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रविवार, 28 जुलाई 2013

चेतावनी




यकीन नहीं होता ।
आपको हुआ ?
सुना तो होगा . . 

खाने में नमक कम हुआ,
तो पत्नी को धुन दिया ।
लड़की ने ना कहा,
तो उस पर ऐसिड डाल दिया ।
औरत ने आवाज़ उठाई,
तो जवाब बलात्कार से दिया ।

ये किस दुनिया के ?
कौनसी कौम के लोग हैं ?
कैसे लोग हैं ?

इंसानी मुखौटों के पीछे छुपे 
हैवानियत के नमूने हैं. 
इनसे बचने के लिए 
चौकन्ना रहना बहुत ज़रूरी है. 

बेटियों - बहनों को सतर्क रहना 
सिखाइये,
और हर पल दुआ मांगिये . . 
इंसानों को इंसान ही मिलें ।
हैवानों से हैवान निबटते रहें ।



               

4 टिप्‍पणियां:

  1. संत और शैतान दोनों इन्सान के अंदर ही रहते हैं, इतना आसान न होगा | पर प्रयत्न करना ज़रूरी है |

    Blasphemous Aesthete

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  2. अच्छा प्रयास है। विषय ऐसा है जिस पर बार बार आवाज़ उठाने की आवश्यकता भी है। दुआ का पहलू नया है। यह पहली बार देखा। अच्छा लगा। यह बहुत ज़रूरी भी है। आज हम दुआ और प्रार्थना करना तो लगभग भूल ही गये हैं। और समाज पर उसका असर भी दिख रहा है। दूसरी बात यहाँ यह पसंद आई कि बलात्कारियों को चीख़ चीख़ कर गाली नहीं दी गई है। किसी भी घटना के होने पर चीख़ना चिल्लाना, और फिर घर जाकर सो जाना, अक्सर बस यही नज़र आता है जिसका कोई अर्थ नहीं। इन दोनों पहलुओं के चलते कविता अपनी जगह कामयाब है। प्रयास जारी रखें। शुभकामनायें। खुश रहें।

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  3. shams sahab vishay aisa hai ki bahut der tak sochte rahe ham ki kuchh kahen ya na kahen. kah ke kya milega ? kahna aakhir karna to nahi hota. isi asmanjas mein ye kahna theek samjha jo man mein aaya. apki baat mein sarokar hai aur hriday ke manthan ka saar hai.baat ham tak pahunchane ke liye dhanyawad.

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