नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
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मयूरपंखी स्मृतिचिन्ह
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शनिवार, 21 जुलाई 2012
अनायास ही
ट्रैफिक के
बेसुरे और बेशऊर
शोर के बीच में
जब अचानक
कोयल की कूक
सुनाई देती है,
सारा शोर
सरक कर
जैसे नेपथ्य में
चला जाता है,
और सोई हुई
चेतना जैसे
जाग जाती है ..
अनायास ही।
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