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शनिवार, 14 अप्रैल 2012

लतीफ़ा


समझ में आया तो
दिल खोल कर हँसा.
आखिर लतीफ़ा क्या था
अपना ही किस्सा था
जीने का हिस्सा था ..
समझ लीजिये !

वाकया समझ कर सुन लो,
लतीफ़ा समझ कर हँस लो..
तो जीना आसान हो जाये,
खुश रहने का सबब बन जाये !




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