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सोमवार, 1 अगस्त 2011

मौसम समाचार




मन की
जो अवस्था हो,
मौसम वैसा ही
मन पर बीतता है.

मौसम बहुरूपिया
मन पढ लेता है,
और मन का हाल जैसा
वैसा ही स्वाँग
रच देता है.

कभी बूंदाबादी..
हल्की फुहारें..
सुखद स्मृतियों के
झूले झुलाये.
कभी ऐसी ही रिमझिम
मानो गरम तवे पर
पानी की बूंद
चटके
और बिखर जाये,
यादों को
झुलसा जाये.

कभी..
पहली बारिश
मिट्टी की सौंधी
महक ले के आये,
मन को भाये,
और कभी
ये ही बारिश
अधूरी ख्वाहिशों की
घुटन भरी उमस से
जी को जलाये.

कभी..
लगातार..
बरसता पानी
फूट फूट कर
रोने का
पर्याय बन जाये,
कभी झमाझम वर्षा
मुरझाये मन मयूर की
सारी उदासी
बहा कर ले जाये.

इसीलिए,
मौसम के बारे में
जब कोई
पूछे सवाल,
मौसम बताता है
मन का हाल.





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