छोटा तन का आकारएक कर में लिए कमंडलवपु वेश धर छलने आएद्वार पर वामन भगवानलेने राजा बलि से दान ।राजा बलि अति विनम्रदान सदा देने को तत्पर,अश्वमेध यज्ञ का यजमानसत्ता ने कर दिया भ्रमित,जो माँगें देने को तैयार।गुरु ने किया सावधान परभक्त का दृढ़ था संकल्प ।तेजस्वी विप्र ने माँगा तत्क्षणबस तीन पग भूमि का दान ।बलि ने सहर्ष किया स्वीकार ।नारायण ही थे वामन भगवान!एक पग में नापा समस्त भूलोकदूजे पग में समेटा सकल ब्रम्हांड..अब तीसरा पग रखूँ कहाँ राजन ?बलि चरणों में हुआ नतमस्तक,कहा, मेरे शीश पर करुणानिधानअपने चरणकमल को दें विश्राम ।जो जीता था, सब कुछ गया हार,शरणागत को प्रभु चरण शिरोधार्य !राजा बलि ने गहे नारायण के चरण ।चरण वरण भक्त के जीवन का सार ।
कुछ और पन्ने
▼
चरण वरण भक्त के जीवन का सार बहुत सुंदर बात है ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 07 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएं