गमला भर खुशी
मोल ले लो जी !
मुट्ठी भर मिट्टी
संजीवनी है जी !
मिट्टी से उपजी
भीनी खुश्बू की !
मिट्टी में बोई
जीवन दष्टि की !
जो चीज़ बोई
वही फलेगी !
फ़ायदे की है जी
ये खरीददारी !
मिट्टी की नमी
मन में उतरेगी
नरमी आएगी
फुलवारी खिलेगी
खाद और पानी
देते रहो जी !
मिलती रहेगी
यदि धूप भी,
क्यों न पनपेगी
घर में खुशहाली !
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर पंक्तियों से सुसज्जित रचना
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंवाह! नूपुर जी ,बेहतरीन रचना !
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