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रविवार, 5 मई 2024

फूल रहा अमलतास


आजकल यहाँ

तपता है मौसम,

उङती रहती है धूल,

दोपहर बेजान-सी ।

पंछी खोले चोंच

ढूंढते हैं पानी ।

खोजते हुए छाँव

निगाह जिस तरफ़ गई ,

झूमता झूमर देखा

धूप ने तपा-तपा 

ढाला खरा सोना,

बेझिझक बेपरवाह 

मानो मुख पर हो हास,

फूल रहा अमलतास ।


11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 06 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. यशोदा सखी, आपका धन्यवाद. बेबाक रचनाओं को पढ़ कर मज़ा आ गया. नमस्ते.

      हटाएं

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