कुछ और पन्ने

मंगलवार, 21 मार्च 2023

एक थी गौरैया . .




सुना आज दिन है गौरैया का 

उसका दाना-पानी आबोदाना 

और इंसान से उसका रिश्ता 

जो टूट कर भी कभी नहीं टूटा ..


ये बस एक इत्तफ़ाक ही है क्या  ?

जो आज ही है दिन कथा सुनाने का 

किस्से-कहानी, दास्तानगोई का 

सुनो कहानी एक थी चिड़िया ..


एक थी चिड़िया कैसे सच हो गया ?

अंदाज़ था ये तो आग़ाज़ करने का !

क्योंकि चुना आदमी ने बंद दरवाज़ा 

कंक्रीट से चिन दिया खुला बगीचा ..


कटे दरख़्त, खड़ी हुई अट्टालिका 

सुविधाएं अंधाधुंध, अपार जुटाता गया 

ख़ुद चारदीवारी में सिमटता गया 

बाग़-बगीचे, फूल,पंछी सब भूल गया ..


जब तापमान बढ़ता-चढ़ता ही गया 

आसमान हो गया मैला,धुंआ-धुआं 

नदियों का पानी भी दूषित हो गया 

तब भी ना जागा विवेक मनुष्य का ..


झक मार मनाता अब दिन खुशी का !

कहानियों में खोजता पता सुकून का !

बिना दाम की दौलत में जो सुख था ..

सारे जहां की दौलत के बस का ना था !


मुट्ठी भर दाना मिट्टी का बर्तन पानी का 

घर के किसी कोने में घोंसला तिनके का 

घर भर देगा झट गौरैया का चहचहाना  

मुट्ठी भर ख़ुशी, मुट्ठी जितना दिल अपना !


मुट्ठी में समा जाए इतनी सी बस गौरैया  !

चुटकी में बदल देगी अंत इस कहानी का ! 

ख़ुशी से दाना-दाना चुगना सुख-दुःख का !

यही तो है जीवन के उत्सव की कविता ! 


Sparrow




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ अपने मन की भी कहिए