नव संवत्सर
हों स्वर मुखरआशा केप्रार्थना केसाहस केसद्भाव के ।श्रम केफूल खिलेंस्वेद बिंदु बनभाल पर ।कर्मठ तन-मनदामिनी समललकारें ..देह की अस्वस्थता,अंतरद्वंद,मन के कलुष को ।खुरदुरे हाथों मेंमुट्ठी भर मिट्टी,मेहनत से सींची जो,लो ! हथेलियों परफूली सरसों ।स्वर मुखर हों ।घर-घर मंगल हो ।आनंद सुगंध हो ।धूप-सा हास हो,कुम्हलाए मुख पर ।जीवन का संबल होआत्मबल का शंखनाद ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 02 अप्रैल 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आनंद वार्ता में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार । नमस्ते बङी सखी ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-4-22) को "सॄष्टि रचना प्रारंभ दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा".(चर्चा अंक-4389)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
नव संवत्सर चर्चा में अवसर देने के लिए आभारी हूँ ।। शुभ हो आने वाला समय, कामिनी जी । नमस्ते ।
हटाएंबहुत सुन्दर नुपुरं जी.
जवाब देंहटाएं'खुरदुरे हाथों में
मुट्ठी भर मिट्टी,
मेहनत से सींची जो,
लो ! हथेलियों पर
फूली सरसों ।'
बहुत सुन्दर और सच्ची पंक्तियाँ !
गोपेश जी, सह्रदय सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार । नव संवत्सर शुभ हो ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर पर ढेरों शुभकामनाएं ।
हटाएंधन्यवाद आलोक जी ।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद । नव संवत्सर शुभ हो ।
हटाएंखुरदुरे हाथों में
जवाब देंहटाएंमुट्ठी भर मिट्टी,
मेहनत से सींची जो,
लो ! हथेलियों पर
फूली सरसों ।
वाह !!!
बहुत ही सुन्दर...
नवसंवत्सर की शुभकामनाएं ।
शुभ हो नव संवत्सर ।
हटाएंसह्रदय सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार ।
स्वर मुखर हों ।
जवाब देंहटाएंघर-घर मंगल हो ।
आनंद सुगंध हो ।
धूप-सा हास हो,
कुम्हलाए मुख पर ।
जीवन का संबल हो
आत्मबल का शंखनाद ।
बहुत सुंदर,प्रेरक और सामयिक रचना ।
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई 💐💐
धन्यवाद,जिज्ञासा जी ।
हटाएंनव संवत्सर शुभ हो ।
जो कुछ बदलना चाहिए
हमारे बदलने से बदलेगा
एक छोटा बदलाव भी
हमें अपार खुशी देगा ।
हम सबको मनोबल दें माँ ।
मेहनत से सींची जो,
जवाब देंहटाएंलो ! हथेलियों पर
फूली सरसों ।
वाह !!!
बहुत ही सुन्दर...
धन्यवाद । जी ,
हटाएंअसली सोना
मेहनत का पसीना है ।