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शनिवार, 5 दिसंबर 2020

ढलते सूरज ने भी देखा

आज संध्या समय
जो बाला दिया, 
बहुत देर तक
जलता रहा ।

अकंपित लौ
तम के भाल पर 
तिलक समान
शोभायमान ।

लक्ष्य केवल साध्य 
पूर्णतः समर्पित 
ध्यानावस्थित लौ ।

जब-जब दीप बाला,
जगमगाता देखा 
अंतर के देवालय का
छोटा-सा आला ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 5 दिसंबर 2020 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,

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  2. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    06/12/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  3. अन्तर्मन को स्पर्श करता हुआ गहन चिन्तन के साथ सशक्त सृजन ।

    जवाब देंहटाएं

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