रात्रि के सूने निविड़ अंधकार में
निकल पड़ो अकेले अनमने से
रास्ता नापने निस्तब्ध निर्जन में
तो जान पड़ता है चलते-चलते
बहुत कुछ है अपनी परिधि में जिसे
जान कर भी कभी जाना नहीं कैसे
न पत्तों की सरसराहट न कोई पदचाप
ऐसे में दूर कहीं से आने लगी मंद-मंद
मंदिर के घंटों की ध्वनि लयलीन और स्पष्ट
हृदय का कोलाहल करती शांत और आश्वस्त
गगन पर टंके चंद्रमा को भी हो रहा कौतूहल
बोझिल परिवेश में हुआ भला-सा परिवर्तन
अनायास ही खुल गए स्मृति के बंद किवाड़
मंदिर जाने के मार्ग में पड़ता था एक घर
टूटी-फूटी ईंटों से झांकता कुटिया का कोना
ढिबरी की रोशनी में मंजीरों का स्वर मधुर
एक साधु अपने में मगन गाता रहता भजन
आते-जाते बना रहा बरसों तक यह क्रम
कीर्तन में डूबा भक्त प्रसन्न भाव अविचल
रस यमुना प्रवाहित होती रहती प्रतिपल
लहर-लहर लयबद्ध प्रवाहित यमुना जल
तट पर हो रहा गान झिलमिलाता दीपदान
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंनमस्ते. धन्यवाद जोशी जी.
हटाएंबहुत सुंदर नुपुरम जी। अत्यंत भावपूर्ण चित्रामकता से सुसज्जित रचना 👌👌👌 सस्नेह शुभकामनायें 🌹🌹🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद, रेणु जी. आपने इतने ध्यान से पढ़ी रचना. आभारी हूँ.
हटाएंजोगी आया जोग करन को तप करने सन्यासी।
जवाब देंहटाएंहरि भजन को साधू आया वृन्दावन के वासी।।
श्रीनिधि..
हटाएंवृन्दावन के भक्तों का भाव तुमने पहचान लिया.
ठाकुर को क्या भाता है ये भी तुमने जान लिया.
ये पंक्तियां स्मरण कराने के लिए अनंत आभार.
राधे राधे 💕
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 20 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अनंत आभार आपका.
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकारजी.
हटाएंआदरणीया मैम ,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर व् शांति देने वाली कविता। रात्रि का विश्राम और भक्ति भाव का आनंद मन में समा जाता है।
सुंदर रचना के लिए ह्रदय से आभार।
आपसे अनुरोध है की कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं। आपके आशीष व प्रोत्साहन के लिए अनुग्रहित रहूंगी।
अनंता आपको शांत रस की अनुभूति हुई, यह जान कर बहुत प्रसन्नता हुई.
हटाएंअपने ब्लॉग का नाम और लिंक दीजिएगा. अवश्य भेंट होगी. शुभकामनाएं.
सुन्दर एवं सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंनमस्ते, शास्त्रीजी. धन्यवाद.
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 21-08-2020) को "आज फिर बारिश डराने आ गयी" (चर्चा अंक-3800) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
शुक्रिया, मीना जी. बारिश डराने आये तो आये ! चर्चा तो होगी !
जवाब देंहटाएंभजन में डूबे रहना और सदा प्रसन्न रहना।
जवाब देंहटाएंवृंदावन की कुंज गलिन में खोए ही रहना।
ऐसा ही हो ! धन्यवाद, अनमोल सा.
हटाएंभक्ति सबसे बड़ा वरदान जीवन का.
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.पढ़ते रहिएगा.
हटाएंसुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें
जवाब देंहटाएंजी. आप भी. शुक्रिया.
हटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय हृदयस्पर्शी सृजन नूपुरं बहन।
जवाब देंहटाएंसादर
अनीता जी, आपका हार्दिक आभार, पढने और कहने के लिए. नमस्ते.
हटाएंWaah noopur
जवाब देंहटाएंशुक्रिया,अनाम पाठक.
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 05 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंह्रदय तल से आभार । नमस्कार ।
हटाएंसुंदर चित्रात्मक सृजन नूपुर जी |
जवाब देंहटाएंस्मृतियों का सुंदर शब्द चित्र
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