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रविवार, 12 मई 2019

कर्णफूल


आज ही खिले
ये फूल !
सुबह-सुबह इनकी
भीनी-भीनी
सुगंध ने
हिला कर जगाया ।

उठते ही 
स्मरण हो आया..
मोती सरीखी
जो कली थी,
संभव है
खिल गई हो !

भाग कर 
खिड़की से
झांक के देखा ।
सचमुच
फूल खिले थे !

शरारत से
मुस्कुरा के
हिल-हिल के
हौले-हौले
अभिवादन
कर रहे थे ।

दिन-प्रतिदिन
कई दिनों तक
पौधे को सींचना
पालना-पोसना
जब-तब
बार-बार देखना कहीं
फूल तो नहीं खिला !

देखते रहो !
संभव है
आंखों के सामने ही
फूल खिल जाए !

जतन कर के
पाले-पोसे
पौधे पर
जब फूल खिलता है,
उसे देखने की
खुशी से बढ़ कर
कोई खुशी नहीं होती ।

हाँ जी !
आज ही खिले
मन-उपवन में
कर्णफूल से फूल !

26 टिप्‍पणियां:

  1. अहा बहुत सुन्दर कर्ण फूल से फूल सरस सौरभ से सरोबार।
    सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद. मन की वीणा तक सुरभि पहुँच ही जाती है ! जब जब फूल खिलते हैं.

      हटाएं

  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को

    " परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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  3. हाँ आपने ही उसे जतन से पाल पास कर बड़ा किया है खूबसूरत

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी हाँ.
      जब जतन किया तब जाना
      क्या होता है फूल का खिलना.

      धन्यवाद,रचना जी.
      नमस्ते पर आपका स्वागत है. आती रहिएगा.

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. धन्यवाद मीनाजी.
      फूल का खिलना किसी की आस का फलना है.

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. धन्यवाद, सुधा जी.
      फूल और बच्चे भगवान की सबसे बड़ी देन हैं.

      हटाएं
  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 14, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. आनंदघन बरस रहे थे.
      सरस रचनाओं का आस्वादन कर.
      धन्यवाद यशोदा जी.

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. और अनमोल ! जब से खिले हैं ! सब के मन खिल उठे हैं !

      धन्यवाद विश्वमोहन जी.

      हटाएं
  8. उत्तर
    1. शुक्रिया, खरे साहेब !

      नमस्ते पर आपका स्वागत है.

      हटाएं
  9. उत्तर
    1. हार्दिक आभार, ज्योति जी.
      नमस्ते पर आपका स्वागत है.

      हटाएं
  10. कर्णफूल से फूल!!!
    बहुत खूबसूरत सृजन...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद, सुधा जी..एक-दो जोड़ी ले जाइए आप ! खूब जंचेंगे आप पर !

      हटाएं

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