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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

जीवन का जाप


पथिक, 
चलते रहना 
तुम्हारी नियति है.

पर यदा-कदा 
विश्राम करना.
चना-चबैना 
जो अपनों ने 
साथ बांधा था,
उस पाथेय से भी
न्याय करना. 

छाँव घनी हो 
जिस वृक्ष की 
उसकी छाया में 
कुछ देर बैठना.

अपने पाँव के छाले 
देखना और सहलाना.
शीतल बयार की 
थपकी पाकर 
चैन की नींद 
सो जाना.

गहरी नींद में भी 
जीवन के कई 
प्रश्नों के उत्तर 
और समाधान 
मिल जाते हैं.

कुछ पल का सुकून 
बल देता है अपार,
पथ पर चलते रहने का
करते हुए जीवन का जाप.




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13 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपका नेह पाकर प्रसन्नता हुई, सुनीता जी.

      सच सबसे बड़ा संबल है जीवन का.

      हटाएं
    2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 51वीं पुण्यतिथि - पंडित दीनदयाल उपाध्याय और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. परम सौभाग्य.
      धन्यवाद हर्षवर्धन जी.

      पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम जिस पृष्ठ पर हो, उस के हाशिये पर जगह पाकर हमारा मां बढ़ा है.

      हटाएं




  3. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार.
      पम्मी जी, ये पड़ाव मनमोहक था.
      अगले पड़ाव की प्रतीक्षा है.

      हटाएं
  4. अनुराधा जी,धन्यवाद. आपका स्नेह अनमोल है.

    हम सबका अनचीन्हा दायित्व है
    अपना जीवन बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर जीवन.दर्शन.. वाह्ह्ह👌

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  7. धन्यवाद श्वेता जी.

    चलते-चलते पुण्य पथ प्रशस्त हो जाता है.
    गुनते-गुनते जीवन दर्शन मिल जाता है.

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