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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

जोश



जब तक होश है। 
रग-रग में जोश है। 

जिगर में 
जोश के बुलबुले नहीं ,
जोश के जुगनू भी नहीं 
जो पलक झपकने तक ही 
मौजूद रहें। 

ये जो 
कौंधता है 
मेरे वजूद में ,
बिजली की तरह  . . 

ये बरसों की तपस्या है। 
ठोकर खा-खा कर जो संभला है,
आग में तप कर जो निखरा है,
वो फ़ौलादी हौसला है। 

ये वीरता का अखंड दिया है। 
जो अलख जगाने वाला है।    
तिरंगे की सौगंध है। 
माँ से बच्चों का वादा है। 

दुष्टता का शत्रु है। 
मानवता का मित्र है। 

जब तक होश है। 
रग रग में जोश है।       



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15 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. धन्यवाद अनीताजी.
      इस बार वीरों का वसंत आया है.

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. शुक्रिया रितुजी.

      देश के वीरों को नमन.
      जितना भी कहें सो कम.

      हटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार यशोदा जी.
    मन की बात और अधिक पाठकों तक पहुँचाने के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद शास्त्रीजी.

    लोग तो वही थे.
    बुनियाद ही बुरी थी.

    जवाब देंहटाएं
  6. वीर रस की एक बेहतरीन कविता।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हमारे वीरों का पराक्रम ही इतना अद्भुत है !
      शब्दों में जितना भी कहें कम है.

      आपका स्वागत है आभार सहित नीतीश जी.
      प्रोत्साहन और निमंत्रण के लिए धन्यवाद.

      हटाएं
  7. कविता की आखिरी पंक्तियाँ काफी कुछ कह गईं. उत्कृष्ट

    जवाब देंहटाएं
  8. धन्यवाद संजयजी.

    कितना भी कहो.
    कैसे भी कहो,
    कम लगता है.
    मन में भावों का
    समुद्र उमड़ रहा है.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत लाजवाब.... जोशपूर्ण रचना....
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुधा जी, धन्यवाद ।

      कुछ ऐसा कर दिखाया है इन जवानों ने ।
      सोये प्राणों को जगाया है इन जवानों ने ।

      हटाएं

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