शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं ।
स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
कुछ और पन्ने
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रविवार, 18 नवंबर 2018
जल छंद
फूल पत्तियों पर ठहरी जल की एक बूंद क्षणभंगुर है, जीवन की तरह । पर उस एक क्षण में ही सुंदरतम है । एक श्वास भर की प्रांजल छवि है अंतरतम की । इस एक पुलकित जल छंद पर न्यौछावर है सारा जीवन ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-11-2018) को ."एक फुट के मजनूमियाँ” (चर्चा अंक-3161) पर भी होगी। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-11-2018) को ."एक फुट के मजनूमियाँ” (चर्चा अंक-3161) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर रचना
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