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शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

उनका भी त्यौहार है


उनका भी त्यौहार है ।
उनका भी परिवार है ।

पर कहीं देश में बाढ़ है ।
कहीं आतंक की मार है ।
कौन संभालेगा ?

कौन जल प्रलय में डूबते को हाथ बढ़ाएगा ?
कौन अशक्त को कंधे पर लाद के लाएगा ?
कौन भूखे-प्यासों को राशन पहुंचाएगा ?
सर्वस्व गंवा बैठे जो उनको कौन दिलासा देगा ?

कौन दिन-रात सीमा पर अलख जगाएगा ?
कौन अनजान खतरों को चुनौती देगा ?
कौन हर रोज़ आज़ादी का परचम फहराएगा ?
कौन जान पर खेल कर हमारी जान बचाएगा ?

हम विश्लेषण करते हैं ।
वो काम करते हैं ।
हम दोषारोपण करते हैं ।
वो समाधान करते हैं।

धन्य हैं जो ऐसा नेक काम करते है ।
जान और जवानी क़ुर्बान करते हैं ।1
अपने श्रम से देश का रौशन नाम करते हैं ।
बड़े नाज़ से हम जिनको जवान कहते हैं ।
हम भारतवासी इन जांबाज़ों को प्रणाम करते हैं ।

उनके भी अपने कहीं बसते हैं ।
उनके भी अपने घर होते हैं ।

उनका भी त्यौहार है ।
उनका भी परिवार है ।

पर सेवा ही उनके जीवन का सार है ।
देश की हिफाज़त ही इनका त्यौहार है ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद शास्त्रीजी .

    हिंदी की बिंदी सदा दमकती रहे .
    चर्चा में नित नए रंग भरती रहे .

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  2. पढने और अपना विचार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद ओंकारजी .

    जवाब देंहटाएं

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