नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
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मयूरपंखी स्मृतिचिन्ह
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शनिवार, 29 दिसंबर 2012
गुनो
दिन आज का
तुमको
क्या क्या दे गया ..
खोल कर बैठो
दिन की पोटली को
और गुनो .
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