नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
कुछ और पन्ने
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
Impressions
मयूरपंखी स्मृतिचिन्ह
▼
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
गहरा नीला
घास पर लेट कर
गुनगुनी धूप में
आकाश को देखना..
टकटकी लगा कर..
और बताना,
कितना नीला
और गहरा
दिखाई देता है..
आसमाँ.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ अपने मन की भी कहिए
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ अपने मन की भी कहिए