नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
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मयूरपंखी स्मृतिचिन्ह
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सोमवार, 6 फ़रवरी 2012
बहता चल
कल कल बहता नदी का जल,
सजग हमें करता प्रतिपल.
जीवन का छंद है बङा सरल,
बस सरल भाव से गाता चल.
लहरों का भावावेग तरल,
समझें मांझी के नयन सजल.
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