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गुरुवार, 5 अगस्त 2010

विडंबना

आप जिनसे बहुत प्यार करते हैं .
आप जिनकी बलाएँ लेते हैं .
आप जिनका दुःख बांचना चाहते हैं .
आप जिनकी खुशी सहेजना चाहते हैं .
आप जिनके लिए सपने बुनते हैं .
आप जिनको अपना बहुत कुछ मानते हैं ..
.. आपके बच्चे
.. आपके दोस्त
.. आपके अज़ीज़ 

उनके पास ..
आपके बारे में सोचने का,
आपके जज़्बात समझने का,
आपके अनुभव से सीखने का,
आपके ख़यालात जानने का,
आपके साथ रहने का,
आपकी उदासी पढ़ने का,
आपकी बात सुनने का,
आपका हाथ पकड़ कर बैठने का
..

वक़्त ही नहीं होता.  






nupuram@gmail.com 







1 टिप्पणी:

  1. noopur, "vidambana" se lekar neeche "asambhav kuchh bhi nahin " tak sabhi rachnayen padhin , padhkar laga tumhare hriday men prem ka jharna hai, jo jan sewa ko prathmikta dete hue sagar tak pahunchne ki koshish kar raha hai, ya pahunch chuka hai, "krishna sharan gahiye" padhkar bahut achcha laga, bas yahi kahunga krishna ki sharan men hi anant sukh hai use mat tyagiye. kul mila kar english poem sahit sabhi rachnayen samaj se judi, achchi lagin.

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