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शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

कुल जमा पाई


पुरानी फोटो
पुरानी डायरीयों  
पुरानी चिट्ठियों
पुरानी स्मृतियों
पुरानी सारी बातों को,

जोड़ कर,
घटा कर,
हिसाब लगाया है ...

अतीत का बड़प्पन
भविष्य का बोध
कुल जमा पाया है.

जो हासिल हुआ है,
माथे से लगाया है.  






noopur bole

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खुब

    यादोँ के झरोखे से,प्यार कि दरीया मे,डुबते जाईये यही जिन्दगी है ।

    इस प्रस्तुती के लिए आभार ।


    सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का इंटरव्यू पढने के लिए यहाँ क्लिक करेँ >>>
    एक बार अवश्य पढेँ

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