नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
कुछ और पन्ने
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
My Poems
मयूरपंखी स्मृतिचिन्ह
▼
शुक्रवार, 26 जनवरी 2024
गणतंत्र स्व तंत्र
›
गणतंत्र स्वतंत्र मतलब स्व तंत्र अपना बनाया तंत्र सुनियोजित व्यवस्था फिर किसी से शिकायत क्या ? शिकायत क्या और बगावत क्या ? सब ...
4 टिप्पणियां:
बुधवार, 24 जनवरी 2024
राम
›
कण कण में बसते सिया राम जन जन के मानस में राम बजरंग बली के हिय में राम भ्राता भरत के तप में राम शबरी की शरणागति में राम केवट की निश्छल...
8 टिप्पणियां:
गुरुवार, 18 जनवरी 2024
उत्तरायण
›
समय ने करवट ली , सूर्य ने दिशा बदली, धूप मेहरबान हुई, पवन कम सर्द हुई । सृष्टि की तंद्रा टूटी । खेतों में खुशहाली ! पकी फसल झू...
8 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें