सोमवार, 15 मई 2023

संदर्भ


संदर्भ बदलते ही
अर्थ बदल जाते हैं ।
बात करो मत
शाश्वत सत्य की !
एक ही क्षण में 
मूल्य बदल जाते हैं ।
मूल्य होते हैं लचीले ..
किसी भी सांचे में 
ढाल दिये जाते हैं ।
शुद्धता मापने के 
पैमाने बदल जाते हैं ।
हांफती ज़िन्दगी की 
जद्दोजहद में 
हर चीज़ देखने के 
ढंग बदल जाते हैं ।
साथ चलते-चलते 
लोग बदल जाते हैं ।
नाम उसूलों के  
वही रहते हैं ।
काम और दाम 
बदल जाते हैं ।
आदमी की 
अहमियत ही क्या है ?
पलक झपकते ही
संज्ञा से 
सर्वनाम हो जाते हैं ।


गुरुवार, 4 मई 2023

वरदान में वरदहस्त

न आकाश में न धरती पर
न अस्त्र से न शस्त्र से 
न दिन में न रात में 
न घर में न घर से बाहर
न मनुष्य,न पशु,
न देव, न दैत्य
कोई नहीं मार सकता
आज भी हिरण्यकशिपु को,
जो हमारे भीतर घात लगाकर 
बैठा रहता है अकङ कर ।
इस निरंकुश अहंकार पर
ठप्पा जो लगा है, अमर तपस्वी का ।
पर आपकी कृपा से भगवन
प्रहलाद भी जनम लेता है
उसी सोच के धरातल पर ।
भक्त फ्रहलाद न दीन हैं, न असफल ।
विनम्र सत्कर्म का धारे कवच ।
मेरी चेतना में सर्वदा रहे उपस्थित 
भक्त प्रह्लाद की भक्ति अविचल ।
जब जब अनर्थ करने के लिए 
उद्यम करे.. हिरण्यकशिपु ललकारे,
तब तुम जो सर्वत्र विद्यमान हो,
जङ खंब से प्रगट होना !
चेतना स्वरूप ..
नरसिंह रूप धर कर ।

न आकाश में न धरती पर
न अस्त्र से न शस्त्र से
न दिन में न रात में 
न घर में न घर से बाहर
न मनुष्य,न पशु,
न देव, न दैत्य,
मेरी चेतना से प्रस्फुटित होकर
नरसिंह भगवान ! लीजिए अवतार !
विराजिये चौखट पर मन की
मिटा दीजिए द्वंद, कायरता,
भ्रमजाल, अभिमान, भय का, 
अदम्य तृष्णा का नख छेदन कर
रक्षा कीजिए अभय दीजिए 
सदाचार में दृढ़ अपने अनन्य भक्त 
निर्मल मति प्रहलाद को दुलार कर
अंक में भर लीजिए, और दीजिए 
अक्षय वरदान में वरदहस्त ।





सोमवार, 24 अप्रैल 2023

चंदन वंदन



मंगल सुवासित प्रभात ।
पुलकित हुआ पात पात ।
फूलों का सुगंधित हास ।
पंछियों का सुरीला आलाप ।
समय जल सम प्रवाहित 
लहर लहर पल पल निरंतर ।
चारों दिशाएं उठीं जाग 
सस्वर करतीं अभिवादन ।
योग, कर्म, कौशल का बल
अथक श्रम से निरंतर सिंचन ,
आकाश में दैदीप्यमान उदयन
जगत में रोपता धूप उदार मन ।
मंगलमय स्वर्णिम हो जन-जीवन
प्रणति निवेदन अक्षय हो चंदन वंदन ।