बित्ते भर के
पीले फूल !
पीले फूल !
खिड़की से झांकते
सिर हिला-हिला के
अपने पास बुलाते,
इतने अच्छे लगे...
कमबख़्त !
उठ कर जाना पड़ा !
सिर हिला-हिला के
अपने पास बुलाते,
इतने अच्छे लगे...
कमबख़्त !
उठ कर जाना पड़ा !
देखा आपस में
बतिया रहे थे,
राम जाने क्या !
बतिया रहे थे,
राम जाने क्या !
एक बार लगा ये
धूप के छौने हैं ।
फिर लगा हरे
आँचल पर पीले
फूल कढ़े हैं ।
या वसंत ने पीले
कर्ण फूल पहने हैं ।
धूप के छौने हैं ।
फिर लगा हरे
आँचल पर पीले
फूल कढ़े हैं ।
या वसंत ने पीले
कर्ण फूल पहने हैं ।
वाह ! क्या कहने हैं !
ये फूल मन के गहने हैं !
ये फूल मन के गहने हैं !
खुशी का नेग हैं !
भोला-सा शगुन हैं ।
भोला-सा शगुन हैं ।
इन पर न्यौछावर
दुनिया के व्यवहार ..
दुनिया के व्यवहार ..
कम्बख़्त ये ..
बित्ते भर के
पीले फूल !
बित्ते भर के
पीले फूल !