tag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post6558522362803730696..comments2024-03-23T22:39:59.865+05:30Comments on नमस्ते namaste : महफ़ूज़नूपुरं noopuramhttp://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-65304550392822071722018-07-25T19:03:26.784+05:302018-07-25T19:03:26.784+05:30अनाम पाठकों का धन्यवाद ।अनाम पाठकों का धन्यवाद ।नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-15372701887577379852018-07-25T19:02:30.959+05:302018-07-25T19:02:30.959+05:30अलकनंदा जी,धन्यवाद ।
बादल टकराएं
और बरस जाएं तो ...अलकनंदा जी,धन्यवाद ।<br /><br />बादल टकराएं <br />और बरस जाएं तो अच्छा ।<br />बस बिजली ना गिरे <br />किसी घर पर ।<br />जल में घुल जाए अंतर्द्वंद,<br />और बहा ले जाए कलुष सब,<br />शांत हो मन का कोलाहल ।<br />नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-48210245430095606552018-07-25T18:55:43.484+05:302018-07-25T18:55:43.484+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-46639680152459373582018-07-25T11:22:43.350+05:302018-07-25T11:22:43.350+05:30बहुत अच्छा लिखा है नूपुर ।बहुत अच्छा लिखा है नूपुर ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15105934856319688070noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-49582323968514577842018-07-25T11:21:21.909+05:302018-07-25T11:21:21.909+05:30बहुत सुंदर । इतनी सादगी से इतनी खूबसूरत बात कह दी ...बहुत सुंदर । इतनी सादगी से इतनी खूबसूरत बात कह दी ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15105934856319688070noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-995273262986171182018-07-06T14:12:23.151+05:302018-07-06T14:12:23.151+05:30क्या खूब ही कहा है...नूपुरम जी...जैसे घर में
रह...क्या खूब ही कहा है...नूपुरम जी...जैसे घर में <br />रहने वालों के <br />अहम टकराते हों <br />बात बात पर । बहुत अच्छाAlaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-50402719532825478222018-07-05T23:22:52.288+05:302018-07-05T23:22:52.288+05:30
वाह विनीता !
ये सिद्ध हुआ
कि बात निकलती है
तो ...<br />वाह विनीता ! <br />ये सिद्ध हुआ <br />कि बात निकलती है <br />तो दूर तलक जाती है. <br />हवाओं में <br />खुशबू बिखेरती है.<br />दिल से दिल तक <br />एक सुरंग बनती है.<br />जो हर तूफ़ान से <br />महफ़ूज़ होती है.<br /><br />वो वृक्ष <br />जो उस रात गिरा था.<br />जो जी चुका था . .<br />ताउम्र <br />घर की निगरानी <br />करता रहा था.<br /><br />पेड़ था <br />तो हवा ठंडी थी,<br />पंछी चहचहाते थे,<br />घोंसले बनाते थे.<br />इन सबकी <br />चहल पहल रहती थी. <br />उस बूढ़े पेड़ के चलते <br />बाहर जितनी हरियाली थी.<br />घर में उतनी खुशहाली थी.<br /><br />घर में रहने वाले <br />जब फिर से पौधे रोपेंगे,<br />प्यार से सींचेंगे,<br />तब फिर से पेड़ हरे होंगे,<br />तने सीधे होंगे<br />और रिश्ते फूलेंगे-फलेंगे.<br /> <br />वह पेड़ <br />सिर्फ पेड़ नहीं था,<br />एक संस्कृति थी.<br /> नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-63067285467389153632018-07-02T15:06:54.469+05:302018-07-02T15:06:54.469+05:30तेल चाहिये दरवाज़ों, खिड़कियों को,
फिर से बे- आवा...तेल चाहिये दरवाज़ों, खिड़कियों को, <br />फिर से बे- आवाज़ खुलने के लिए, <br />तेल चाहिए रिश्तों को, <br />प्यार का, <br />अपनेपन का, <br />विश्वास का, <br />फिर से दमकने के लिए। <br />वो जो पेड़ गया ना कल, उसे दीमक लगी होगी, <br />वो अपनी ज़िंदगी जी चुका था, <br />और उसका समय आ चुका था ;<br />महफ़ूज़ किसी पेड़ के नीचे नहीं, <br />घर-ओ-दीवार के भीतर, <br />मज़बूत छत के नीचे रहेंगे, <br />बस रिश्तों को अहम की दीमक से बचाना होगा, <br />घर के हर चेहरे को संग-संग मुस्कुराना होगा, <br />यूँही हर रिश्ते को सहेजना होगा।Vinita Ashit Jainnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-27145969561696366362018-07-01T20:20:21.854+05:302018-07-01T20:20:21.854+05:30हार्दिक धन्यवाद शास्त्रीजी . बहुत धन्यवाद दिग्विजय...हार्दिक धन्यवाद शास्त्रीजी . बहुत धन्यवाद दिग्विजय जी .<br />अन्य पाठकों तक रचना पहुँचाने के लिए .<br /><br />आभारी हूँ कुसुमजी . पढने और सराहने के लिए .<br />एक महफ़ूज़ छत खोजते - खोजते एक दिन जब <br />हम अपनी छत की मरम्मत ख़ुद करना ठान लेंगे <br />उस दिन संभवतः इस अंतर्द्वंद पर विराम लगेगा . <br /><br />ओंकारजी आपकी सराहना बहुत मायने रखती है .<br />आपकी सहज अभिव्यक्ति और सरल विचार प्रक्रिया सीधे दिल पर दस्तक देती है .<br /><br />चिराग जोशी जी आपका कमेंट लुप्त हो गया है पर आपकी सहृदय सराहना का दीप चौखट पर जल रहा है .<br /><br />Thank you Unknown for your warm appreciation.<br />Thank you Jyoti for reading and commenting.<br /><br />Will try to live up to the kind words.<br />Do keep coming back to read and share your thoughts.नूपुर noopuramhttp://www.noopurbole.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-19639333842660168422018-07-01T16:46:12.879+05:302018-07-01T16:46:12.879+05:30A common problem of every household depicted with ...A common problem of every household depicted with great ease of words. Superb Noopur. Liked the intensity of words.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13882505354677355877noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-22712806836189345202018-07-01T15:47:50.314+05:302018-07-01T15:47:50.314+05:30So beautifully written noopurSo beautifully written noopurJyotinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-11707893894604575872018-07-01T08:31:18.908+05:302018-07-01T08:31:18.908+05:30बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-38835172344865987132018-07-01T08:08:10.861+05:302018-07-01T08:08:10.861+05:30वाह बहुत सुन्दर अंतर द्वद। वाह बहुत सुन्दर अंतर द्वद। मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-12949843900637842082018-06-30T15:27:23.157+05:302018-06-30T15:27:23.157+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-07-2018) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "करना मत विश्राम" (चर्चा अंक-3018) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com